“सुनो तुम याद आ रहे हो
और तुम्हारी याद का हर लम्हा
इस रात की स्याही में घुल कर
बरस रहा है…..
सफेद पन्ने पर झिलमिला रहे हैं
कुछ स्याह छींटे…
उभर रही हैं परछाईं….
तेरी… मेरी….”
कांच सी एक लड़की-7
“सुनो तुम याद आ रहे हो
और तुम्हारी याद का हर लम्हा
इस रात की स्याही में घुल कर
बरस रहा है…..
सफेद पन्ने पर झिलमिला रहे हैं
कुछ स्याह छींटे…
उभर रही हैं परछाईं….
तेरी… मेरी….”
कांच सी एक लड़की-7