kanch si ek ladki – 10
“तुम्हारे आने-जाने की खबर यूं मिलती है जैसे सुबह अखबार के साथ आयी हो बासी, पुरानी, रोमांच रहित। चाय की […]
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“तुम्हारे आने-जाने की खबर यूं मिलती है जैसे सुबह अखबार के साथ आयी हो बासी, पुरानी, रोमांच रहित। चाय की […]
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“तुम्हारी यादें… सच पूछो तो इनमें आखिरी जैसा कुछ नहीं है…. हो भी नहीं सकता…. हां इस बार तुम मिलने
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“जानते हो कई बार ऐसा भी होता है प्रेम में कि एक और एक मिलकर न एक होते हैं न
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“सुनो तुम याद आ रहे हो और तुम्हारी याद का हर लम्हा इस रात की स्याही में घुल कर बरस
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“मेरे सपने महंगे हो गये हैं जबसे मैंने उन्हें पन्ने पर उतारा है. वे बिक रहे हैं किराने की दुकानों
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“कभी-कभी तेरी यादें बेचैन रातों के बाद बिस्तर पर पड़ी सिलवटों सी लगती हैं, जिन्हें हर बार झाड़ कर समेट
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“तुम्हारे जाने के बहुत दिन बाद मैं ले आई थी एक छोटी चिड़िया को घर बिल्कुल तुम्हारी तरह जिद्दी. वह
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“चंद दिन पहले चाँद निकला, कुछ बदला- बदला सा ‘ब्लड मून’ शायद चाँद को भी हो गया है इश्क तभी
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“कभी-कभी तुम मौन हो जाते हो. लगता है यही मौन हिमालय की पहाड़ियों में होगा, जहाँ अनेक वर्षों तक तपस्वी
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“मैं कांच तू पत्थर है. मैं टूटती, बिखरती, चुभती हूँ. तू टूटता, बिखरता, संवरता है.“ कांच सी एक लड़की-1
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