kanch si ek ladki – 18

“शब्दों के मेलजोल से जब प्रेम उतरा ,

तो

और भी गहराई में उतरा…

जैसे हमतुम उतरते थे…

गंगा की घाटों पर बनी सीढ़ियों से…

सधे क़दमों से, समेट लेने को,

लहरों का सौन्दर्य अपने प्रेम में…

आज वहां वक़्त का परिंदा उतर रहा है,

सधे क़दमों से,

चुपके-चुपके सुन लेने को

हमारी कहानी… लहरों से……”

कांच सी एक लड़की-18

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