
“दीदार-ए-महबूब के लम्हे भी अजीब होते हैं…
दिल धड़कने लगता है
और धड़कन थम जाती है…
इंतजार की घड़ियाँ
एक पल को खत्म होकर
फिर शुरू हो जाती हैं…
तपते रेगिस्तान को नसीब होता है…
एक बूंद इश्क़……“
कांच सी एक लड़की-17
“दीदार-ए-महबूब के लम्हे भी अजीब होते हैं…
दिल धड़कने लगता है
और धड़कन थम जाती है…
इंतजार की घड़ियाँ
एक पल को खत्म होकर
फिर शुरू हो जाती हैं…
तपते रेगिस्तान को नसीब होता है…
एक बूंद इश्क़……“
कांच सी एक लड़की-17