kanch si ek ladki – 15

एक शहीद की याद:

“तुम्हारे सरहद की तरफ़ रुख करते ही…

किसी ने तुम्हारे हाथों को थाम लिया होगा…

दिखा होगा , उन आँखों में सूनापन …

तुम्हें सियाचिन की बर्फीली पहाड़ियों सा…

नम आंखों ने कहा होगा…

वादा करो जा तो रहे हो पर लौट के आना…

फिर सियाचिन की बर्फ़ तुम्हारे क़दमों से लग

पिघली होगी…

तुम वादों को निभा रहे हो…

तुम आ कर जा रहे हो…

कांच सी एक लड़की-15

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