“तुम्हारी यादें…
सच पूछो तो इनमें
आखिरी जैसा कुछ नहीं है….
हो भी नहीं सकता….
हां इस बार तुम
मिलने नहीं आए….
पर फिर भी हम मिले
पहले से भी अधिक बार…..
अगर ईश्वर जैसा कुछ है
तो शायद ये उसी की मर्जी थी….
तुमसे मिलना है मैंने तय नहीं किया
ना ही सोचा था,
पर फिर भी
भीड़ भरे रास्तों पर….
दुनिया के शोर के बीच
तुम मिले….
बार-बार….
और बनती गई नई यादें…
कभी न खत्म होने वाली…”
कांच सी एक लड़की-9