kanch si ek ladki – 4

A girl freeing birds from cage

तुम्हारे जाने के बहुत दिन बाद

मैं ले आई थी एक छोटी चिड़िया को घर

बिल्कुल तुम्हारी तरह जिद्दी.

वह हर रोज अपने नन्हें पंखों को उड़ने के लिए फडफडाती थी .

तब मेरे मन में ख्याल आया था की मैं बड़े होने पर उसे आज़ाद कर दूँगी.

उसी पल तुम्हारे चले जाने को लेकर

जितनी भी शिकायतें थीं तुमसे

मैं भूलने लगी.

मैं और भी उदार हो गयी

और तुम आज़ाद. “

कांच सी एक लड़की-4

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